Friday, January 22, 2016

4>भोजपत्र +आत्मा का अंश ब्रह्म+ काम आने वाली 15 अद्भुत बातें

4>आ =Post=4>***भोजपत्र ***( 1 to 3 )

1----------भोजपत्र ==क्यों अधिक प्रभावी होता है भोजपत्र निर्मित यन्त्र धारण करना
2----------प्रत्येक आत्मा का अंश अव्यक्त ब्रह्म है
3----------जिंदगी के हर मोड़ पर काम आने वाली 15 अद्भुत बातें
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 2>भोजपत्र ==क्यों अधिक प्रभावी होता है भोजपत्र निर्मित यन्त्र धारण करना

विभिन्न धर्मो ,समुदायों में यन्त्र रचना और धारण प्राचीन काल से चला आ रहा है ,यन्त्र विभिन्न आकृतियों अथवा अंको के एक विशिष्ट संयोजन होते है ,जिनसे एक विशिष्ट उर्जा विकिरित होती है अथवा जिनमे एक विशिष्ट उर्जा संग्रहीत होती है ,जो धारक को विशिष्ट रूप से प्रभावित करती है ,यंत्रो को देवी देवताओ का निवास भी माना जाता है ,यह आंकिक भी होते है अथवा न समझ में आने वाली आकृतियों के भी ,फिर भी इनके विशिष्ट अर्थ होते है ,यंत्रो की पूजा भी की जाती है और धारण भी किया जाता है ,अथवा अन्य रूप से भी उपयोग किया जाता है ,

यंत्रो का निर्माण वुभिन्न सामग्रियों ,वस्तुओ पर होता है ,कागज़,भोजपत्र ,धातु ,पत्थर ,कपडे आदि पर भी ,,हिन्दू परम्परा के अनुसार भोजपत्र को परम पवित्र माना जाता है ,अन्य माध्यमो की अपेक्षा भोजपत्र पर निर्मित यन्त्र को प्रमुखता दी जाती है क्योकि इसके साथ कई विशिष्टताये जुड़ जाती है ,जो अन्य माध्यमो में कुछ कम पायी जाती है ,

भोजपत्र स्वयं एक सकारात्मक उर्जा आकर्षित करने वाला माध्यम होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर करता है ,इस पर यन्त्र निर्माण में प्रयुक्त होने वाले अष्टगंध अथवा पंचगंध की अपनी अलग विशेषता होती है ,इनमे गोरोचन आदि प्रयुक्त होने वाले पदार्थ नकारात्मक शक्तियों को दूर कर सकारात्मकता को आकर्षित करते है ,यन्त्र निर्माण के समय साधक की विशिष्टता ,उसकी एकाग्रता ,आत्मबल ,उसके हाथो से निकलने वाली तरंगे ,उसकी अपनी सिद्धिया /शक्तिया यन्त्र को अलग बल प्रदान करती है ,निर्माणोंपरांत यन्त्र की प्राण प्रतिष्ठा और उस पर सम्बंधित इष्ट का जप इसे बहुत विशेष बना देता है,यन्त्र निर्माण हेतु निर्दिष्ट और चयनित मुहूर्तो का अपना अलग प्रभाव होता है ,इसे विशिष्ट साधक ही बना और प्राण प्रतिष्ठित कर सकता है ,जिसके पास सम्बंधित विषय की क्षमता हो ,,इस प्रकार बना यन्त्र धारक पर शीघ्र और सकारात्मक प्रभाव डालता है ,यन्त्र से उत्सर्जित होने वाली तरंगे व्यक्ति और आसपास के वातावरण को प्रभावित करती है जिससे परिवर्तन होते है और व्यक्ति लाभान्वित होता है

जो सच्चा विज्ञानी है वह धार्मिक होगा और जो सच्चा धार्मिक है वह विज्ञान को समझने की कोशिश करेगा l विज्ञान और धर्म एक दुसरे के विरोधी हो ही नहीं सकते क्योंकि दोनों सत्य के खोजी हैं l

अंतर यह है विज्ञान चल करके मानता है और धर्म मान करके चलता है l धर्म उस सत्य को स्वीकार करके श्रद्धा और विश्वास करके चलता है l और विज्ञान तथ्यों पर विश्वास करता है l

विज्ञान की यात्रा तोड़ने पर आधारित है l विज्ञान पृथक्करण करता है l धर्म की यात्रा जोड़ने पर आधारित है l धर्म समाहित करता जोड़ता चला जाता है और अंत में यह पाता है सब कुछ ब्रह्म ही ब्रह्म है
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3>प्रत्येक आत्मा का अंश अव्यक्त ब्रह्म है

प्रत्येक आत्मा का अंश अव्यक्त ब्रह्म है। बाह्य एवं अन्तःप्रकृति को वशीभूत कर आत्मा के इस ब्रह्म भाव को व्यक्त करना ही जीवन का चरम लक्ष्य है!

जब हम सत्संग में रह सत्य विचारो को आत्मसात करते हैं तो हम उसी परम परमेश्वर जो सर्वशक्तिमान व् हमारा जीवनदायक है के ही प्रसारण के साधन बनते हैं. हमारा उद्देश्य इसी प्रसारण व् प्रकाश को फैलाना है. हम सब एक पथ के यात्री हैं कुछ आगे हैं कुछ पीछे हैं पर अंततः सब मिल जाते हैं.
अगर हो सके तो इस पृष्ठ पर कुछ और सन्देश हैं जिन्हे आप पढ़े..

श्रीहरि आपकी सदैव रक्षा करें. . जय श्रीहरि।

आत्मिक समीक्षा - आध्यात्मिक यात्रा ?

आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले द्वारा आत्मा की समीक्षा व् आध्यात्मिक विकास - आध्यात्मिक ज्ञान से जीवन सफल कैसे करे ?

आत्मिक समीक्षा द्वारा यहां संदर्भ आत्म तत्व की समीक्षा, तुलनात्मक अध्ययन व् अधिक सुक्षम जानकारी है। हमारे प्राचीन ऋषियों द्वारा प्रचलित अवधारणाओं और विचारों से लेकर आधुनिक युग के उपभोक्ता समाज तक जो आत्मा के बारे में जानते हैं , उन सब विषयो की समीक्षा करने का प्रयास कर रहे हैं। मैं इस आत्मा की समीक्षा को एक आध्यात्मिक यात्रा कहता हूँ और इस विनम्र प्रयास में सब सच चाहने वालों का स्वागत ही नहीं आमंत्रण है ताकि वह अपनी जानकारी बढ़ाये और अपने विचार, प्रश्न भी साझा कर सकें. जय श्री हरि
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4>जिंदगी के हर मोड़ पर काम आने वाली 15 अद्भुत बातें


💥1.गुण - न हो तो रूप व्यर्थ है।
💥2. विनम्रता- न हो तो विद्या व्यर्थ है।
💥3. उपयोग न हो तो धन व्यर्थ है।
💥4. साहस - न हो तो हथियार व्यर्थ है।
💥5. भूख- न हो तो भोजन व्यर्थ है।
💥6. होश- न हो तो जोश व्यर्थ है।
💥7. परोपकार- न करने वालों का जीवन व्यर्थ है।
💥8. गुस्सा- अक्ल को खा जाता है।
💥9. अहंकार- मन को खा जाता है।
💥10. चिंता- आयु को खा जाती है।
💥11. रिश्वत- इंसाफ को खा जाती है।
💥12. लालच- ईमान को खा जाता है।
💥13. दान- करने से दरिद्रता का अंत हो जाता है।
💥14. सुन्दरता- बगैर लज्जा के सुन्दरता व्यर्थ है।
💥15. सूरत- आदमी की कीमत उसकी सूरत से नहीं बल्कि सीरत यानी गुणों से होती है...!!!"

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